पशु पक्षियों का दर्द ….
एक दिन भरी दोपहर मे
कमरे की खिड़की से झॉका ।
सामने पक्षी और जानवरो का
बहुत अद्भुत नजारा था
चंद पेडो पर घोंसला
बना रही थी कुछ चिड़िया
बहुत ही जोश उत्साह से उड़ान भरती
पलभर मे आती
पलभर मे जाती
छोटे छोटे तिनके नोच कर लाती
बना रही थी वो अपना घर
सबसे न्यारा सबसे प्यारा ।
उसी पेड की छॉव मे,
गर्म तपिश से बचने ,
खड़े थे कुछ मूक जानवर
इन दृश्यों से
ऑंखें हटायें नही हट रही थी
रोज देखने का
चालू हो गया यह क्रम ।
सभी चिड़िया
कडी मेहनत से कर रही थी
अपना घर तैयार
आखिरकार एक दिन मेहनत रंग लाई
और बन गया चिड़ियाओ का
अपना संसार
भीग गई अँखियाँ
निकल पड़े खुशी के आँसू
कुछ दिनो बाद आया
एक इंसान
हाथ मे थे
पेड काटने के कुछ औजार
चंद पैसो के लालच की ख़ातिर
बिना सोचे समझे
काट डाले सारे पेड
जरा भी ये अहसास नही जागा कि
कितने पंछियों के टूट गये घरौंदे
लूट गये आशियाने
वही गर्म तपिश से झुलस गये
कितने ही बेक़सूर मूक जानवर
कितने ही बेक़सूर मूक जानवर …….
लिखने मे गलती होतों क्षमायाचना🙏🙏
जय सच्चिदानंद 🙏🙏